वित्तीय बाजार - पारिभाषिक शब्दावली - Definipedia

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 वित्तीय बाजार- पारिभाषिक शब्दावली |Financial Management - Terminology

डेफिनिपीडिया के दिए गए पोस्ट में आपको वित्तीय बाजार से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया गया है। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है।

Vittiya Bazar Paribhashik Shabdavali

Vittiya Bazar Paribhashik Shabdavali

1.वित्तीय बाजार (Financial Management)- यह बाजार एक ऐसी संस्था हहै जहाँ विभिन्न वित्तीय सम्पतियों जैसे जमा- ऋण, स्कन्ध, बाण्ड, प्रतिभूतियाँ, चेक, बिल, अंश, ऋणपत्र आदि का सरलतापूर्वक किन्तु नियमानुसार क्रय- विक्रय किया जाता है।

2.पूँजी बाजार (Capital Market)- पूँजी बाजार वह स्थान होता है जहाँ व्यवसाय व उद्योग के लिये दीर्धकालीन ऋणों की व्यवस्था होती है।

3.संगठित पूँजी बाजार (Formal Capital Market)- इस बाजार के अन्तर्गत वित्त संबंधी कार्य पंजीबद्ध विभिन्न वित्तीय संस्थाये करती है जो विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्रों से निजी बचतों को एकत्र कर दीर्धकालीन पूँजी व्यवस्था आती है।उदाहरण- जीवन बीमा निगम(LIC), भारतीय यूनिट ट्रस्ट(UTI) आदि।

4. असंगठित पूँजी बाजार (Internal Capital Market)- इसे अनौपचारिक बाजार भी कहते है इसमें काले धन का बहुत बड़ा भाग का वित्त व्यवस्था की जाती है। इनमें देशी बैंकर्स, साहूकार महाजन प्रमुख होते है।

5.प्राथमिक पूँजी बाजार (Primary Capital Market)- ऐसी पूँजी जिसे प्रथम बार सीधे किसी भी माध्यम से प्राप्त किया जाता है उसे प्राथमिक पूँजी बाजार कहते है।

6. द्वितीयक पूँजी बाजार ( Secondary Capital Market)- इस बाजार के अन्तर्गत विभिन्न स्त्रोतों से पूँजी प्राप्त की जाती है उसका पुनः विनियोग करने की क्रिया द्वितीयक पूँजी बाजार कहते है।

7.मुद्रा बाजार(Money Market)- वित्तीय बाजार में जब अल्पकालीन या अल्प मुद्रा प्राप्त करने या वित्त का लेन- देन का सरलतम स्थान मुद्रा बाजार कहते है।

इसे पढ़ेविपणन - पारिभाषिक शब्दावली 

8. बन्धक(Mortgages)- इसमें किस घर,व्यवसाय, फर्म या किसी अचल सम्पत्ति को जमानत में रखकर ऋण लिया जाता है इसे बन्धक कहते है।

9.स्कन्ध विपणि(Stock Exchange)- प्रो.गस्टर्नबर्ग के अनुसार- स्कन्ध विपणि व्यवस्थित बाजार है, जहाँ क्रेता एवं विक्रेता अपने दलालों के माध्यम से मिलते है और पंजीकृत प्रतिभूतियों में व्यवहार करते है।

10.काउन्टर रसीद(Counter Receipt)- जब किसी निवेशक को OTCEI के माध्यम में अंश आबंटित किए जाते है तो उसे एक रसीद दी जाती है जिसे काउन्टर रसीद कहते है।

11.राजकोषीय बिलों(Fiscal Bills)-राजकोषीय बिल केंद्र सरकार की ओर से रिजर्व बैंक द्वारा जरी किया जाता है। ये बिल सरकार द्वारा अल्प अवधि के लिए उधार प्राप्त करने योग्य बनाया जाता है क्योंकि ये बिल बैंको और साधारण जनता को बेचे जाते है।

12.गौण बाजार(Secondary Market)- ऐसे बाजार जिसमे पूर्व निर्गमित प्रतिभूतियों में व्यवहार किया जाता है।

13.रेपो दर(Reop Rate)- भारतीय रिजर्व बैंक जिस दर पर बैंको से सरकारी प्रतिभूतियों को पुनः क्रय करता है उसे रेपो दर कहा जाता है।

14.रिजर्व रेपो दर(Reserve Repo Rate)- रिजर्व रेपो दर अल्पकालीन उधार लेने की दर है जिस पर देश के केन्द्रीय बैंक देश के भीतर वणिज्यिक बैंको से पैसा लेती है।

15.वणिज्यिक बिल(Commercial Bills)- यह एक विनिमय साध्य प्रपत्र है जिसे आसानी से हस्तांतरित किया जाता सकता है। इसका उधार बिक्री के लिये वित्त व्यवस्था हेतु किया जाता है।

16.खजाना बिल(Treasury bill)- खजाना बिल वह बिल है जो रिजर्व बैंक द्वारा भारत सरकार की ओर से अल्प अवधि की देयता के रूप में निर्गमित किया जाता है।

17.अधिकार निर्गमन(Rights Issue)- यह विद्यमान शेयरधारकों को नए अंशो का निर्गमन है इसे अधिकार निर्गमन कहते है।