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 पूर्ति  - पारिभाषिक शब्दावली | Supply - Terminology

डेफिनिपीडिया के दिए गए पोस्ट में आपको पूर्ति से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया गया है। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है।

Purti Paribhashik Shabdavali



Purti Paribhashik Shabdavali 

1.पूर्ति (Supply)- प्रो. बेन्हम के अनुसार- पूर्ति का आशय वस्तु की उस मात्रा से है जिसे प्रति इकाई समय में बेचने के लिए प्रस्तुत किया जाता है। 

2.पूर्ति तालिका (Supply Schedule)- बाजार में ऐसी निश्चित समय में विभिन्न कीमतों पर किसी वस्तु की विभिन्न मात्राएँ बेचने के लिए उपलब्ध करायी जाती है। जब विभिन्न कीमतों तथा उन कीमतों पर बेचने के लिए उपलब्ध मात्राओं को एक तालिका के रूप में व्यक्त किया जाता है, उसे पूर्ति तालिका कहते है।

3.व्यक्तिगत पूर्ति तालिका (Individual Supply Schedule)- जब किसी निश्चित समय पर किसी बाजार में एक विक्रेता के द्वारा किसी वस्तु को भिन्न- भिन्न कीमतों में बेचा जाता है, तो उसे व्यक्तिगत तालिका कहते है।

4.बाजार पूर्ति तालिका (Market Supply Schedule)- एक बाजार में बहुत से विक्रेता होते है, जो विभिन्न कीमतों पर वस्तु को बेचने के लिए तैयार रहते है, यदि इन सब विक्रेताओं की पूर्ति को जोड़ दिया जाये तो इसे तालिका को बाजार पूर्ति तालिका कहते है।

5.पूर्ति वक्र (Supply Curve)- पूर्ति वक्र किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर उसकी विक्रय हेतु उपलब्ध मात्राओं के बीच पाये सम्बन्ध को बताती है।

6.बाजार पूर्ति (Market Supply)- बाजार पूर्ति को अति अल्पकालीन पूर्ति भी कहा जाता है। ऐसे बाजार में पूर्ति यथास्थिर रहती है, बाजार पूर्ति कुछ घंटे या एक दिन के सम्बन्ध में हो सकती है।

7.अल्पकालीन पूर्ति (Short- Run Supply)- अल्पकालीन पूर्ति ऐसी पूर्ति है जिसमें विक्रेता के पास अधिक समय होता है, अधिक समय रहने के कारण विक्रेता वस्तु की पूर्ति में माँग में थोड़ी बहुत कमी या वृद्धि कर सकता है।

8.दीर्घकालीन पूर्ति ((Long- Run Supply)- दीर्घकालीन पूर्ति ऐसी पूर्ति है जो सामान्य स्थिति को बताती है, इसमें विक्रेता के पास समय की कमी नहीं होती है। समय की पर्याप्तता के कारण विक्रेता अपनी वस्तु की पूर्ण रूप से माँग के अनुरूप बढ़ा या घटा सकता है।

9.संयुक्त पूर्ति (Joint Supply)- संयुक्त पूर्ति वह है, जब किसी एक स्त्रोत से दो या दो से अधिक वस्तुएँँ प्राप्त होती है। जैसे- तेल था तेल से प्राप्त खली।

10.सामूहिक पूर्ति (Collective Supply)- सामूहिक पूर्ति वह है, जब वस्तु विशेष की पूर्ति विभिन्न प्रतियोगी स्रोतों से की जाती है। जैसे- शक्ति की आपूर्ति- बिजली, कोयला आदि।

11.पूर्ति का नियम (Law of Supply)- वाटसन के अनुसार- पूर्ति का नियम बताता है की अन्य बातों के समान रहने पर एक वस्तु की पूर्ति, इसकी कीमत बढ़ने से बढ़ जाती है और कीमत के घटने से घट जाती है।

12.पूर्ति की लोच (Elasticity of Supply)- प्रो.बिलास के अनुसार- पूर्ति की लोच कीमत में थोड़े से परिवर्तन के फलस्वरूप पूर्ति की मात्रा में हुए प्रतिशत परिवर्तन को कीमत में हुए प्रतिशत परिवर्तन से विभाजन करके प्राप्त करते है।

13.पूर्णतया लोचदार पूर्ति (Perfectly Elastic Supply)- जब वस्तु की कीमत में परिवर्तन ण होने पर भी वस्तु की पूर्ति में बहुत अधिक परिवर्तन हों जाती है तब ऐसी वस्तु की पूर्ति को पूर्णतया लोचदार पूर्ति कहते है।

14.अधिक लोचदार पूर्ति (Highly Elastic Supply)- जब वस्तु की कीमत में थोड़े से परिवर्तन होने के कारण वस्तु की पूर्ति में बहुत अधिक परिवर्तन होता है तब वस्तु की पूर्ति को अधिक लोचदार पूर्ति कहते है।

15.लोचदार पूर्ति(Elastic Supply)-जब किसी वस्तु की पूर्ति में परिवर्तन ठीक उसी अनुपात में होता है जिस अनुपात उसकी कीमत में परिवर्तन हुआ है, तब ऐसी वस्तु की पूर्ति को लोचदार पूर्ति कहते है।

16.बेलोचदार पूर्ति (Inelastic  Supply)- जब किसी वस्तु की पूर्ति में होने वाला परिवर्तन, मूल्य में होने वाले परिवर्तन से कम होता है, तब वस्तु की पूर्ति की लोच इकाई में कम अथार्त बेलोचदार पूर्ति होती है।

17.पूर्णतया बेलोचदार पूर्ति (Perfectly Inelastic Supply)- जब किसी वस्तु के मूल्य में बहुत अधिक परिवर्तन होने पर भी वस्तु की पूर्ति में कोई परिवर्तन न हो तो वस्तु की पूर्ति पूर्णतया बेलोचदार पूर्ति होती है।