बाजार - पारिभाषिक शब्दावली - Definipedia

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 बाजार   - पारिभाषिक शब्दावली |Market - Terminology

डेफिनिपीडिया के दिए गए पोस्ट में आपको बाजार से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया गया है। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है।

Bazar Paribhashik Shabdavali

Bazar Paribhashik Shabdavali 

1.बाजार (Market)- प्रो.सिजविक के अनुसार- "बाजार व्यक्तियों के समूह या समुदाय को कहते है जिसके बीच इस प्रकार के पारस्परिक वाणिज्यिक सम्बन्ध हों की प्रत्येक व्यक्ति को सुगमता से इस बात का पूर्ण ज्ञान हों जाये की दूसरे व्यक्ति समय- समय पर कुछ वस्तुओं व सेवाओं का विनिमय किन मूल्यों और करते है।"

2.स्थानीय बाजार (Local Market)- जब किसी वस्तु का क्रय एवं विक्रय एक निश्चित स्थान अथवा एक निश्चित क्षेत्र तक ही सीमित होता है, तो उस वस्तु के बाजार को स्थानीय बाजार कहते है।

3.प्रादेशिक बाजार (Regional Market)- जब किसी वस्तु का बाजार एक विशेष प्रदेश अथवा एक बड़े क्षेत्र तक सीमित होता है, तो उस वस्तु के बाजार को प्रादेशिक बाजार कहा जाता है।जैसे- पगड़ी और साफे का बाजार राजस्थान एवं पंजाब तक सीमित होता है।

4.राष्ट्रीय बाजार (National Market)- जब किसी वस्तु की माँग सम्पूर्ण देश में होती है, तो उस वस्तु के बाजार को राष्ट्रीय बाजार कहते है। जैसे- धोती, साड़ी, चूड़ी आदि का बाजार।

5.अंतर्राष्ट्रीय बाजार (International Markert)- जब किसी वस्तु के क्रेता एवं विक्रेता समस्त विश्व में पाये जाते है तो ऐसी वस्तु को अंतर्राष्ट्रीय बाजार कहते है। जैसे- सोना, चाँदी की बाजार आदि।

6.अति- अल्पकालीन बाजार (Very short Period Market)- जब किसी वस्तु की पूर्ति उसके उपलब्ध स्टाफ तक ही सीमित होती है, तो उसे अति- अल्पकालीन बाजार या दैनिक बाजार कहते है। जैसे- दूध, दही, सब्जी का बाजार आदि।

7.दीर्घकालीन बाजार (Long Period Market)- जब किसी वस्तु की पूर्ति को उसकी माँग के अनुसार घटाया या बढ़ाया जाता है, तो उसे दीर्घकालीन बाजार कहते है।

8.अति- दीर्घकालीन बाजार (Very Long Period Market)- जब किसी वस्तु की माँग की पूर्ति दोनों में बहुत अधिक परिवर्तन होते है तो ऐसे बाजार को अति- दीर्घकालीन बाजार कहते है।

9.पूर्ण प्रतियोगिता बाजार (Perfect Competition Market)- जब बाजार में किसी वस्तु की क्रय- विक्रय के लिए क्रेताओं व विक्रेताओं के बीच प्रतियोगिता होती है, तब उस बाजार को पूर्ण प्रतियोगिता बाजार कहते है।

10.अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार (Imperfect Competition Market)- बेन्हम के अनुसार- अपूर्ण बाजार उस बाजार को कहा जायेगा जब क्रेताओं व विक्रेताओं को या कुछ क्रेताओं और कुछ विक्रेताओं को एक- दूसरे के द्वारा दिया हुए माँग का ज्ञान नहीं होता है।

11.विशिष्ट बाजार (Specialized Market)- जब किस बाजार में एक विशेष वस्तु का क्रय- विक्रय किया जाता है, उसे विशिष्ट बाजार कहते है। जैसे- सब्जी मण्डी, अनाज मण्डी अदि।

12.मिश्रित बाजार (Mixed Market)- जब किस बाजार में विभिन्न वस्तुओं का क्रय- विक्रय किया जाता है, उसे मिश्रित बाजार कहते है। जैसे- रायपुर का गोल बाजार, दिल्ली का चाँँदनी चौक आदि।

13.नमूनों द्वारा बाजार (Marketing by Sampling)- जब कोई वस्तु नमूनों के आधार पर बेची एवं खरीदी जाती है, तो उसे नमूनों के द्वारा बिक्री बाजार कहते है।

14.श्रेणियों के आधार पर बाजार (Marketing by Grades)- जब किसी वस्तु को विभिन्न श्रेणियों में बाँँटकर बेचा जाता है, तो उसे श्रेणियों के आधार पर बिक्री बाजार कहते है।

15.एकाधिकार बाजार (Monopoly Market)- एकाधिकार बाजार उस बाजार को कहा जाता है, जिसमें वस्तु का अकेला उत्पादक होता है और उसकी स्थापन्न वस्तु का भी कोई उत्पादक नहीं होता है तो उसे एकाधिकार बाजार कहते है।

16.उचित बाजार (Fair Market)- जब किसी बाजार में वस्तुओं का क्रय- विक्रय सरकारी हस्तक्षेप से किया जाता है और उपभोक्ताओं को वस्तुएँँ उचित कीमत पर मिल जाती है, तो उसे उचित बाजार कहा जाता है।

17.अवैध बाजार (Illegal Market)- जब किसी बाजार में वस्तुओं का क्रय- विक्रय सरकार द्वारा निर्धारित कीमत से कम या अधिक होता है, तो उसे अवैध बाजार कहा जाता है।

18.उपज बाजार (Product Market)- जिस बाजार में उत्पादित वस्तुओं के क्रय- विक्रय के सौदे होते है, उसे उपज बाजार कहा जाता है।

19.स्कन्ध बाजार (Stock Market)- जिस बाजार में अंश, प्रतिभूतियों था स्टाॅॅक आदि के सौदे होते है, उसे स्कन्ध बाजार कहते है।

20.धातु बाजार (Bullion Market)- जिस बाजार में सोने- चाँदी के क्रय- विक्रय के सौदे होते है, उसे धातु बाजार कहते है।

21.द्वयाधिकार बाजार (Duopoly Market)- द्वयाधिकार से आशय, बाजार की ऐसी स्थिति से होता है, जिसमें केवल दो ही विक्रेता होते है, दोनों विक्रेताओं की वस्तु के एक हों रूप होते है और दोनों समान मूल्य नीति का पालन करते है।

22.अल्पाधिकार बाजार (Oligopoly Market)- अल्पाधिकार बाजार बाजार की ऐसी अवस्था होती है, जिसमें किसी वस्तु के बहुत कम विक्रेता होते है और प्रत्येक विक्रेता पूर्ति एवं मूल्य पर समुचित प्रभाव रखता है।