वित्तीय प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली - Definipedia

Definipedia

वित्तीय प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली | Financial Management - Terminology

डेफिनिपीडिया के दिए गए पोस्ट में वित्तीय प्रबन्ध आपको से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया गया है। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है।

Vittiya Prabandh Paribhashik Shabdavali

Vittiya Prabandh Paribhashik Shabdavali

1.वित्तीय प्रबन्ध(Financial Management)- वित्तीय प्रबन्ध का आशय - वित्त के साधनों व उपयोग के मध्य उचित सामन्जस्य बनाये रखना है, ताकि उपलब्ध वित्त का अधिकतम उपयोग, उपभोग एवं विनियोग समय - समय पर किया जा सके।

2.वित्तीय प्रबन्ध(Financial Management)- वेस्टन एवं ब्राइघम के अनुसार- वित्तीय प्रबन्ध वित्तीय निर्णय लेने की वह क्रिया है जो व्यक्तिगत उद्देश्यों और उपक्रम के उद्देश्यों में समन्वय स्थापित करती है।

3.रोकड़ा प्रबन्ध (Cash Management)- रोकड़ा का आना या रोकड़ा का जाना रोकड़ा प्रबन्ध कहलाता है। रोकड़ा किसी व्यवसाय का धड़कन है।

4.वित्तीय नियोजन (Financial Planning)- वॉकर एवं बॉगन के अनुसार- वित्तीय नियोजन वित्त कार्य से सम्बधित है,जिसमें फर्म के वित्तीय लक्ष्यों का निर्धारण, वित्तीय नीतियों का निर्माण एवं अनुमान तथा वित्तीय प्रविधियों का विकास सम्मिलित है।

5.अल्पकालीन वित्तीय नियोजन ( Short - Financial Planning )- एक व्यवसाय में एक वर्ष की अवधि के लिए जो वित्तीय योजना बनाई जाती है, वह अल्पकालीन वित्तीय नियोजन कहलाती है।

6. मध्यकालीन वित्तीय नियोजन (Medium - Financial Planning)- एक व्यवसाय में एक वर्ष से अधिक की अवधि तथा पाँँच वर्ष से कम की अवधि के लिए जो वित्तीय योजना बनाई जाती है उसेमध्यकालीन वित्तीय नियोजन कहलाती है।

7.दीर्धकालीन वित्तीय नियोजन (Long -terms - Financial Planning)-एक व्यवसाय में पाँच वर्ष अथवा अधिक अवधि के लिए बनाई गई वित्तीय योजना दीर्धकालीन वित्तीय नियोजन कहलाती है।

8.पूँजी संरचना(Capital Structure)- बैस्टन एवं ब्राइन के अनुसार- पूँजी संरचना किसी फर्म का स्थायी वित्त प्रबन्धन होता है जो दीर्धकालीन ऋणों, अधिमान अंशो तथा शुद्ध मूल्य से प्रदर्शित होता है।

9.परिचालन अनुपात (Operating ratio)- किसी व्यवसाय में कुल आय का जितने प्रतिशत भाग परिचालन व्ययों में प्रयुक्त होता है उसे परिचालन अनुपात कहा जाता है।

10.पूँजीकरण (Capitalization)- गस्टर्नबर्ग के अनुसार- व्यावहारिक दृष्टिकोण से पूँजीकरण का तात्पर्य व्यापार के लिये नियमित रूप से लगी कुल पूँजी के लेखांकन मूल्य से है।

11.अति पूँजीकरण ( Over- Capitalization)- गस्टर्नबर्ग के अनुसार- एक निगम को उस समय अति- पूँजीकृत कहा जाता है जब इसकी आय निर्गमन अ अंशो एवं ‍‌‍‍‍‍‌‌‌‍‍‌‍‍‍‍‌‌‌बाण्डों पर एक उचित दर से प्रत्याय देने के लिए अपर्याप्त हो अथवा जब देय प्रतिभूतियों का पुस्तकीय मूल्य सम्पतियों के वर्तमान मूल्य से अधिक हो।

12.अल्प पूँजीकरण (Under- Capitalization)- हॉगलैण्ड के अनुसार- अल्प पूँजीकरण का आशय व्यवसाय में लगी हुई संपतियों का कुल पूँजी से मिलान करने पर सम्पतियों के अधिक होने से है।

13.द्रवित या जलयुक्त पूँजी (Water Capital)- हॉगलैण्ड के अनुसार- जब कम्पनी की सम्पतियों का वास्तविक मूल्य से कम हों जाता है तो उसे जलयुक्त पूँजी कहते है।

14.स्थायी पूँजी (Fixed Capital)- स्थायी पूँजी व्यापार का वह भाग है जिसके द्वारा व्यापार स्थापित किया जाता है।

15.वास्तविक स्थायी पूँजी (Real Fixed Capital)- व्यापार में भूमि, भवन, फर्नीचर, मशीनरी, औजार आदि आवश्यक है इन पर व्यय की गई पूँजी को वास्तविक स्थायी पूँजी कहते है।

16. अवास्तविक स्थायी पूँजी (Unreal Fixed Capital)- व्यापार में पेटेण्ट, कापीराइट, ख्याति,प्रारम्भिक व्यय प्रवर्तन, प्रबन्धन आवश्यक है इन पर व्यय की गई पूँजी को वास्तविक स्थायी पूँजी कहते है।

17.कार्यशील पूँजी(Working Capital)- गस्टर्नबर्ग के अनुसार- कार्यशील पूँजी सामान्यत: चालू सम्पतियों के आधिक्य के रूप में परिभाषित किया जाता है।

18.नियमित अथवा स्थायी कार्यशील पूँजी(Regular or Fixed Working Capital)- कार्यशील पूँजी ऐसी होती है जिसकी आवश्कता सम्पूर्ण वर्ष भर लगातार होती है। ऐसी पूँजी व्यवस्था को दीर्घकालीन ऋण से की जाती है।

19.मौसमी अथवा परिवर्तन कार्यशील पूँजी(Seasonal or variable Working Capital)- यह एक ऐसी पूँजी ही जिसका उपयोग वर्ष में किसी निश्चित मौसम में किया जाता है साथ ही यह व्यय परिवर्तनशील होता है।

20.लाभांश (Dividend)- लाभांश का शाब्दिक अर्थ लाभ का अंश से है अर्थात ऐसा अंश जिसे वितरित किया जाता है।